बेख़ौफ़ चल रहे थे हम साथ - साथ उनके
कुछ गिर संभल रहे थे हम साथ - साथ उनके.
इक मोड़ आया रास्ता वो खुद भटक रहे थे,
और मंजिल बदल रहे थे हम साथ - साथ उनके.
बेनियाजना* कोई ठिकाना मिलता है कहीं ,
पर कुछ बहल रहे थे हम साथ - साथ उनके.
क्यूँ फंस गए थे आखिर उनके ज़माल* में हम,
अब हाथ मल रहे थे हम साथ - साथ उनके.
ग़म ए हस्ति के जुज़* और क्या 'सारंग' के है पास,
खुश चंद पल रहे थे हम साथ - साथ उनके.
मायने:
बेनियाजना - बिना मकसद
ज़माल - खूबसूरती
जुज़ - के बिना
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